गीतिका/ग़ज़ल

गजल/गीतिका

मात्रा भार- 32, 16-16 पर यति…..समांत- आ के, पदांत- न जा,……..

हँसा सकी न दर्द को मेरे, इनॉसुओं को रुला के न जा
बिना बुलाए जख्म मिले हैं, निशानियों को भुला के न जा
रखे राहें वफा की मंजिल, ना चल सकेंगे कदम दगा के
रुको जरा इस खाली दिल में, नदानियों को झुला के न जा॥

सहमे शिकवे तेरे आँचल, परदे लटके बिना रजा के
हटा सकी न जुल्फ के साये, विरानियों को बुला के न जा॥

कहाँ भरोषा बंद लिफाफे, गाज गिराते बिना खता के
बता तनिक जो ख्याल लायी, लिखावटों को धुला के न जा॥

बिना सर्द की उठी कपकपी, तहतक पँहुची हिलाहिला के
अश्रु बूंद संग गरम हवाएँ, बसंतियों को बुला के न जा॥

मूक साक्षी हुए तर तरुवर, खिलते मौसम कोंपल पा के
उगा के पत्ते डाली डाली, टाहनियों को डुला के न जा॥

गौतम दाग घुला नहि करते, उग आते हैं नजर चुरा के
बिना खता के नींद गंवाई, तंहाइयों को सुला के न जा॥

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ