मुक्तक/दोहा

फल महिमा -दोहे

मधुर आम उपवन उपज, करते सब रस पान |

तिक्त करेला कटु बहुत, करता रोग निदान ||

काला जामुन है सरस, मत समझो बेकार |

दूर भगाता मर्ज सब, पेट का सब बिकार ||

पपीता बहुत काम का, कच्चा खाने योग्य |

पक्का खाओ प्रति दिवस, है यह पाचक भोज्य ||

खट्टा मीठा रस भरा, अच्छा है अंगूर |

खाओ संभल के इसे , अम्ल कारी प्रचूर ||

मीठा होता सन्तरा, ज्यों अंगूर-शराब |

रस इसका खुल पीजिये, पाचन अगर ख़राब ||

कलिन्दा सभी मानते, उपज ग्रीष्मकालीन |

खाता हरेक चाव से, मुहताज या कुलीन  ||

छाल इस पर हराभरा, अन्दर पूरा लाल |

रस पीओ ठण्डा करो, जैसा हो अनुकाल ||

रोगी सभी प्रकार के, करे सेवन अनार |

आंव,कब्ज कै दस्त भी, होता दूर विकार ||

द्रव्य पचाने में निपुण, गुणवान अनन्नास |

करता बाहर अम्लता, ऐसा है विश्वास ||

कदली खाओ प्रेम से, पर भोजन के बाद |

रिक्त पेट कदली सदा, करत काय बरबाद  ||

@कालीपद ‘प्रसाद’

*कालीपद प्रसाद

जन्म ८ जुलाई १९४७ ,स्थान खुलना शिक्षा:– स्कूल :शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय ,धर्मजयगड ,जिला रायगढ़, (छ .गढ़) l कालेज :(स्नातक ) –क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान,भोपाल ,( म,प्र.) एम .एस .सी (गणित )– जबलपुर विश्वविद्यालय,( म,प्र.) एम ए (अर्थ शास्त्र ) – गडवाल विश्वविद्यालय .श्रीनगर (उ.खण्ड) कार्यक्षेत्र - राष्ट्रीय भारतीय सैन्य कालेज ( आर .आई .एम ,सी ) देहरादून में अध्यापन | तत पश्चात केन्द्रीय विद्यालय संगठन में प्राचार्य के रूप में 18 वर्ष तक सेवारत रहा | प्राचार्य के रूप में सेवानिवृत्त हुआ | रचनात्मक कार्य : शैक्षणिक लेख केंद्रीय विद्यालय संगठन के पत्रिका में प्रकाशित हुए | २. “ Value Based Education” नाम से पुस्तक २००० में प्रकाशित हुई | कविता संग्रह का प्रथम संस्करण “काव्य सौरभ“ दिसम्बर २०१४ में प्रकाशित हुआ l "अँधेरे से उजाले की ओर " २०१६ प्रकाशित हुआ है | एक और कविता संग्रह ,एक उपन्यास प्रकाशन के लिए तैयार है !