कविता

“कुंडलिया”

1-

दिखता जो होता कहाँ, दृश्य धुंध नहि साँच,
भाई बेटा द्वय सगे, किसको आए आँच
किसको आए आँच, कौमुदी देखे जनता
तरह तरह के दाँव, लगाते जो बन पड़ता
गौतम खेले खेल, सियासत में सब चलता
साथी है बेताब, दृश्य नहि मन का दिखता।।

2-

बदली कब दीवार है, नए कलेंडर हार
पन्ने पन्ने पर लिखे, नए नए त्यौहार
नए नए त्योहार, सोलवां साल निराला
निकले तगड़े नोट, वर्ष सत्रह अब आला
गौतम हाथों हाथ, खिलाएं सबको कदली
खुशियाँ झूमे साल, मुबारक अदला बदली।।

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ