कवितागीत/नवगीत

पता न था

बारिश की बौछार इतनी खूबसूरत होती है, पता न था
हम तमाम देर घूमा किए, पानी की बूंद एक न मिली

 

 

अपनों की दुनिया इतनी खूबसूरत होती है, पता न था
इनायत-ही-इनायत दिखी, शिकायत एक न मिली

 

 

नज़ारों की दुनिया इतनी खूबसूरत होती है, पता न था
नूतन नज़ारों की महफ़िल दिखी, पुरातन की झलक न मिली

 
सपनों की दुनिया इतनी खूबसूरत होती है, पता न था
हर्ष की खुशनुमा बगिया खिली, उन्माद की कली न मिली

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244