लोकतन्त्र आजाद नहीं
अन्ना जी का अब राज नहीं
गांधी जी का समाज नहीं
लोगों की किस्मत फूट गयी
ये लोकतन्त्र आजाद नहीं
दुनिया सायद तुमको अन्ना अब
खेल तमाशा केहती है
बापू कि फोटो के नीचे
रिश्वत कि गंगा बहती है
कि नेताओं ने जनता को
कदम कदम पर लूट लिया
कुर्सी कि चाहत में देखो
कितनो ने रिश्तों का खून किया..
अन्ना जब दिन भर भूखे थे
ये खून खराबा करते थे
खुद को ये शेक समझ कर के
बाबा को मारा करते थे
भारत कि माँ अब रो रो कर
ये बात बताया करती है
अन्ना जी का अब राज नहीं
गांधी जी का समाज नहीं
लोगों कि किस्मत फूट गयी
ये लोकतन्त्र आजाद नहीं…
आशा देकर आशा ने
जिस अबला का इज़्ज़त लूट लिया
जिसे बनाया एम एल ए
उसने ही चीर – हरण किया
कि नहीं चाहिए नेता हमको
कुर्सी का ये कारोबार
अब तो लाएंगे दुनिया में
मानवता का नया प्रकाश
निकलो अपने – अपने घर से
पूछो इन गद्दारों से
कि लौटाएँ ये काला धन
और बंद करें ये घोटाले..
अन्ना का अब संरक्षण है
मोदी जी के भी कुछ सपने है
इन सपनो को तुम पूर्ण करो
गद्दारों को तुम दूर करो…
कि बार बार भारत कि माँ तुम
सबको ये बतलाती हैं
अन्ना जी का…