जानता हूँ बहारों का मौसम नही…
जानता हूँ बहारों का मौसम नही
वो अभी वो नही हम अभी हम नही
मुश्किलें तो बहुत है मेरी राह में
पर दुआ आपकी साथ कुछ कम नही
पल रहा हूँ अभी प्यार है आपका
चल रहा हूँ अभी प्यार है आपका
कोशिशें आँधियों ने बहुत की मगर
जल रहा हूँ अभी प्यार है आपका
रोज कविता ग़ज़ल छंद लिखता रहा
प्रीत के गीत के बंद लिखता रहा
सोच कर कुछ लिखा ही नही दोस्तो
जो उठा दिल मेरे द्वन्द लिखता रहा
रस्म उल्फत निभाता रहूँगा सदा
प्रीत के गीत गाता रहूँगा सदा
रूठ कर जो गये हैं उन्हें दोस्तो
सर झुकाकर मनाता रहूँगा सदा
जो सुना है सही हो जरूरी नही
जो दिखा है वही हो जरूरी नही
जो यहाँ है जरूरी नही हो यहाँ
जो नही है नही हो जरूरी नही
सतीश बंसल
०५.०१.२०१७