कविता

दिल की तमन्ना……

तेरी इनायत जो हुई मेरी निगाहों पे

झंकृत हो उठे दिल के तार सारे

नम्र स्पर्श वो तुम्हारी नज़रों का

मेरी पलकों ने हौले-हौले से

महसूस किया

होने लगा एहसास मीठा-मीठा सा

चढ़ने लगा खुमारी तेरे इश्क का

अब चाहत नहीं, होश में आने का

तेरी नज़रों के समन्दर में

दिल डूब जाना चाहता

तर जाए मेरा रूह इनायतें ख़ुदा

है मेरी यही दिली आखरी तमन्ना।

*बबली सिन्हा

गाज़ियाबाद (यूपी) मोबाइल- 9013965625, 9868103295 ईमेल- [email protected]