धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

“ईश्वर प्राप्ति के लिए आत्मज्ञान”

मानव शरीर सबसे दुर्लभ होता है .नारद पुराण में कहा गया है कि मानव शरीर इतना दुर्लभ है कि स्वर्ग में रहने वाले देवता भी इसके लिए तरसते रहते हैं. हजारों जन्मों के बाद यह मानव देह मिलता है. गुरूड़ पुराण कहता है कि मनुष्य शरीर पाये बिना तत्व ज्ञान नहीं मिल सकता है. आदिगुरु शंकराचार्य जी ने कहा है कि मानव शरीर और वास्तविक गुरू के अलावा एक अन्य चीज और है जो दुर्लभ है वह है भूख.जब तक भूख नहीं होगी, किसी चीज को पाने की ललक नहीं होगी तब तक उसे प्राप्त नहीं कर सकते. अगर पेट भरा हो तो छप्पन भोग भी सामने हो तो उस ओर मन नहीं जाता है. इसी प्रकार अगर ईश्वर को पाने की इच्छा गहरी नहीं हो तो प्रवचन सुनते रहेंगे, समझकर भी नासमझ बने रहेंगे. भूख ऐसी होनी चाहिए जैसे वो चीज मिले बगैर चैन न मिले .जीवन मे कई संत , कई मार्गदर्शक मिलते है लेकिन उसे सुन कर भी समझते नहीं क्योंकि मन मे ये विचार आते है की अभी तो हम गृहस्थ हैं, कर लेंगे , अभी उम्र ही क्या है, अभी तो खेलने कूदने के दिन हैं, करेंगे, करेंगे करते करते बुढ़ापा आ जाता है और जहां थे वहीं रह जाते हैं.

मनुष्य शरीर में एक शक्ति है धारण करने की जो अन्य जीवों में नहीं है. गरूड़ जी ने श्री काक भुशुंडिजी से प्रश्न किया कि सबसे दुर्लभ कौन शरीर ह ? इसके जवाब में काकभुशुंडिजी ने कहा कि सबसे दुर्लभ मानव शरीर है क्योंकि इसी देह से नर्क, स्वर्ग, भक्ति और ईश्वर को प्राप्त किया जा सकता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि मानव शरीर में ही ज्ञान धारण करने की शक्ति है. शरीर इन्द्रियों से बना है इसलिए माया कि ओर स्वभाविक रीति से खींचा चला जाता है .नदी की धारा मे जैसे वस्तु स्वभाविक बहती है उसी तरह ये मन भी प्रवाहित होता रहता है. भगवान की ओर जाना इन्द्रियों के विरूद्घ दिशा में जाना है इसलिए कठिनाई महसूस होती है. इस कठिनाई को ज्ञान के द्वारा दूर किया जा सकता है.इंद्रिय सुख तो लेते ही है लेकिन असली सुख इंद्रियों के सुख मे नही है . जब तक आत्मिक आनंद नहीं मिलेगा ये सभी सुख पाने के बाद भी अतृप्तता ही महसूस होगी .इसलिए इसी मानव शरीर में ईश्वर भक्ति की ,ईश्वर को प्राप्त करने की भूख पैदा करनी होगी.और वह भूख जागृत होगी आत्मज्ञान से .

प्रतिभा देशमुख

श्रीमती प्रतिभा देशमुख W / O स्वर्गीय डॉ. पी. आर. देशमुख . (वैज्ञानिक सीरी पिलानी ,राजस्थान.) जन्म दिनांक : 12-07-1953 पेंशनर हूँ. दो बेटे दो बहुए तथा पोती है . अध्यात्म , ज्योतिष तथा वास्तु परामर्श का कार्य घर से ही करती हूँ . वडोदरा गुज. मे स्थायी निवास है .