चाँद
ऐ चाँद!
तेरी दुधियां रौशनी में
नहाई ये धरती और
जाग उठे दिल के
अरमान सारे
तुम्हारे दीदार भर से चढ़ा
मुहब्बत का ऐसा नशा
जैसे शमां को देख
परवाना दीवाना हो जाता
तेरी झिमिलाती रौशनी में
छलकने लगे है
मुहब्बत का जाम भरा प्याला
क्या होगा अंजाम बाद इसके
हम दीवानों को खबर न होता
ये चाँद!
कैसा है ये! तेरा अंदाज निराला
तेरे आगोश में आते ही
हर कोई मदहोश हो जाता।