जिंदगी होती नीरस प्यार के बिना
जिंदगी होती नीरस प्यार के बिना
नहीं मिलता करार इकरार के बिना
लिख दी चिट्ठी में कुछ कही अनकही
प्यार समझो यूँ ही इजहार के बिना
चलो छेड़ दें अपनी वीणा के तार
सुर कैसे सजेगा झंकार के बिना
डगमग डगमग मन नैया डोले रे
कैसे खेवे नाविक पतवार के बिना
हर आहट पर दौड़ी आई मैं द्वार
कभी तो आइये इन्तज़ार के बिना