क्षणिका

हसरतें

हसरतें

अक्सर बंद किवाड़ों में…
दम तोड़ते हैं अहसास
सिसकती हैं आवाजें
रुंध जाते हैं गले !
मन में रहती है…
बस मरने की चाहत !
कुछ मर जाती हैं
और कुछ जी जातीं हैं
जीते जी मरने के लिए ! !

अंजु गुप्ता

*अंजु गुप्ता

Am Self Employed Soft Skill Trainer with more than 24 years of rich experience in Education field. Hindi is my passion & English is my profession. Qualification: B.Com, PGDMM, MBA, MA (English), B.Ed