गीतिका/ग़ज़ल

यूँ दोस्त तो बेशुमार पाया

यूँ दोस्त तो बेशुमार पाया

फ़क़त उसी का न प्यार पाया

 

यकीन कैसे करूँ मैं जिसको

मुसीबतों में फ़रार पाया

 

हमेशा फूलों की आरज़ू में

हमेशा काँटों का हार पाया

 

है कौन जिसने मुहब्बतों में

है चैन पाया करार पाया

 

मुसीबतों में डरा नहीं जो

नसीब बिगड़ा संवार पाया

 

जो काम करते नहीं उसी की

निगाहों में आबशार पाया

 

अकेला ‘माही’ नहीं दिवाना

जहां को दिल का बिमार पाया

 

 

माही / 8511037804

 

महेश कुमार कुलदीप

स्नातकोत्तर शिक्षक-हिन्दी केन्द्रीय विद्यालय क्रमांक-3, ओ.एन.जी.सी., सूरत (गुजरात)-394518 निवासी-- अमरसर, जिला-जयपुर, राजस्थान-303601 फोन नंबर-8511037804