लघुकथा

अपना हक

रविवार का दिन था फिर भी नवीन जल्दी उठ गया. तैयार होकर वह अपनी मम्मी से बोला “मैं अपने दोस्तों के पास जा रहा हूँ.”
“इतनी जल्दी अभी तो नाश्ता भी नहीं किया.” उसकी मम्मी ने प्रश्न किया.
“आज हम सब पार्क में धरने पर बैठेंगे. कुछ खाएंगे नहीं.” नवीन गंभीरता से बोला.
“क्यों धरने पर क्यों बैठोगे.” उसकी मम्मी आश्चर्य से बोलीं.
“हमारे पास और कोई चारा नहीं है. खेलने के लिए एक पार्क था. वहाँ भी पौधे लगाकर आप लोगों ने हमारा खेलना बंद करवा दिया. हमें भी खेलने की जगह चाहिए.” कह कर वह चला गया.
उसके जाने पर उसकी मम्मी सोंच में पड़ गईं. सचमुच यदि खेलने की जगह नहीं बचेगी तो बच्चों का विकास कैसे हो पाएगा.

*आशीष कुमार त्रिवेदी

नाम :- आशीष कुमार त्रिवेदी पता :- C-2072 Indira nagar Lucknow -226016 मैं कहानी, लघु कथा, लेख लिखता हूँ. मेरी एक कहानी म. प्र, से प्रकाशित सत्य की मशाल पत्रिका में छपी है