भीड़
बिन सोचे
बिन सच जाने
अक्सर…
जुबां से तलवार चलाते हैं !
चाहते न चाहते हम भी
भीड़ का हिस्सा बन जाते हैं ! !
अन्याय होने पर
बने तमाशाई
पर संग…
कीचड़ / पत्थर भी बरसाते हैं
चाहते न चाहते हम भी
भीड़ का हिस्सा बन जाते हैं ! !
मदद की गर कोई
गुहार लगाए
बन बहरे…
इधर – उधर खिसक जाते हैं
चाहते न चाहते हम भी
भीड़ का हिस्सा बन जाते हैं ! !
उन्माद और
उकसावे में आ
भूमिका…
पुलिस/ जज/ जल्लाद की निभाते हैं
चाहते न चाहते हम भी
भीड़ का हिस्सा बन जाते हैं ! !
अंजु गुप्ता