उस बेवफ़ा की तरह
ये वक़्त भी गुजर गया बातोँ बातोँ मेँ,,,,,,,,,
दुरियाँ बदल न सकी मुलाकातो मेँ,,,,,,,,,
बिजलियोँ को छूने की तमन्ना सी जगी हैँ……….
यहाँ सिर्फ धुआँ हैँ तो आग कहाँ लगी हैँ……….
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चला जाऊंगा तेरी जिंदगी से ये पहचान छोड़कर,
तेरे टूटे हुए सपनो में मेरे निशान छोड़कर।
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लौट आने का दिल करे तो आ जाना मेरे हमदर्द,
मैं तो वहीं खड़ा हूँ जहाँ तुमने छोड़ा था………..
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कोई तो रोको इस बेदर्द मौसम को,
ये भी चला जाएगा उस बेवफा की तरह।
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