क्षणिका : मौन
मौन
बर्फ़ से सर्द,
हो चुके हैं रिश्ते
पिघलाए, सहलाए कौन
शब्द हो चुके हैं अब बौने
” समझदार” रह जाएँ मौन ! !
अंजु गुप्ता
मौन
बर्फ़ से सर्द,
हो चुके हैं रिश्ते
पिघलाए, सहलाए कौन
शब्द हो चुके हैं अब बौने
” समझदार” रह जाएँ मौन ! !
अंजु गुप्ता