गज़ल
दुनिया में किसी को भी रूलाना मत
मज़लूमों के दिल को दुखाना मत
नेकी कर के दरिया में बहा देना
करो एहसान कोई तो जताना मत
भरम यारों का रखना हो जो कायम तो
मुसीबत में किसी को आज़माना मत
खुल के तू यहां मिलना भले सबसे
किसी को राज़ पर कोई बताना मत
वक्त अच्छा-बुरा आता ही है सब पर
किसी के दर्द में तू मुस्कुराना मत
टूटने पर बहुत तकलीफ देते हैं
झूठे ख्वाब आँखों में सजाना मत
थोड़ी तदबीर से बिगड़ी बना लेना
अपनी तकदीर पर आँसू बहाना मत
— भरत मल्होत्रा