भारतवर्ष फिर सोनें की चिडि़या कहलायेगा
भारतवर्ष फिर सोनें की चिडि़या कहलायेगा
आजादी के 70 साल बाद यदि किसने ने क्रांतिकारी रूख अख्तियार किया है वह नरेन्द्र मोदी। इसमें कोई शक नही कि इन्होनंे जो कार्य किया है वह सहराहनीय है, नोट बंदी को लेकर आनें वाले समय में उम्मीद लगायी जा रही है कि देश की गरीब जनता को कुछ फायदा हो सकता है। नोट बन्दी को लेकर जहां पूरा देश लाईन में खडा नजर आ रहा है यह नजारा देखकर सभी लोग यह सोंचने पर मजबूर है कि अधिकांश जनता वह है जो रोज कुवां खोद कर पानी पीती है, जो पूंजीपति हैं वह लाईन में कहीं दूर दूर तक नजर ही नही आ रहे! क्या ओ समय का इंतजार कर रहें है या कोई दूसरा रास्ता तलाश कर रहेें है खैर जो भी हो वह 31 दिसम्बर तक सामने आ जायेगा।
अब रही बात भ्रष्टाचार की अपने देश में अधिकांश भ्रष्टाचार अधिकारियोें द्वारा जनता पर किया जा रह है जिसको हमारे देश के शिक्षा शास्त्री स्वेतवश्न अपराध की संज्ञा देते है। इस अपराध में देश व समाज के अधिकारी जैसे लेखपाल, ग्राम पंचायत अधिकारी, बी0डी0ओ0, डी0एम0 एस0डी0एम0 डाक्टर, ए0डीएम0 आदि इसके अन्तर्गत आते है। धन का मुख्य उद्गम तो केन्द्र के पास ही है। इस बात की तो अब सभी लोग पुष्टी करते है। और यही सच भी है। जनता के पास सीधे पैसा नही आ सकता है वह कई हाथों को स्पर्श करते हुये, खरोचते हुये तोड मरोड़ कर जब पूरी तरह से पैसे की कमर टूट जाती है तब अधिकारियों को इस बात का अहसास होता है कि अब जो बचा है वह जिसका है उसके पास पहुंचा देना चाहिए। क्या ऐसा करनें वालों के लिये भी कुछ नया सोंचा गया है ?
जब देश के डाक्टर व किसान, एवं आम जनता के पास कहीं कहीं आय से अधिक संपत्ति देखनें को मिलती है जिसकी पुष्टी हमारे देश का आयकर विभाग करता है, जब केन्द्र में भाजपा सरकार होते हुये भी भाजपा नेता की गाडी से अवैध सम्पत्ति को पाया जाता है तो इस आंदोलन में क्या आयकर विभाग की तलासी लेने वाला भी कोई है क्या इनके पास आय से अधिक संपत्ति नही है! जो दूसरों की पोल खोल रहें ! क्या ? इनकी भी हकीकत कोई बतानें वाला आयेगा। यदि ऐसा यदि ऐसा हो रहा है या आगे होने वाला है तो एक बात तो एकदम सच कि भ्रष्टाचार का समूल नाश संभव है। फिर अपना भारतवर्ष एक नये रूप में व नये निखार मेें सबको नजर आयेगा और एक बार फिर से भारतवर्ष सोने की चिडि़या कहलायेगा।
इतिहास गवाह है कोई भी आन्दोलन हो फायदा कमजोर वर्ग का ही होता है क्यों जब आंधी चली है तो बडे बृक्ष जड से टूट जातें है और छोटे पौधे मस्ती में झूम जाते है।
राजकुमार तिवारी (राज) बाराबंकी उत्तर प्रदेश