जय बोलो मतदाता की
लोकतंत्र के अग्रपूज्य की भारत भाग्य विधाता की
निर्वाचन का महायज्ञ है, जय बोलो मतदाता की
जय जनता में निहित शक्ति की
जय पुनीत इस राष्ट्रभक्ति की
लोकतंत्र में पुण्य आस्था
संविधान के हेतु रक्ति की
जननायक की जय से पहले जननायक निर्माता की
मूर्तिकार है जो सर्जक है
वही चेतना का मूलक है
केंद्र वही है इस रचना का
वही शक्ति का उत्सर्जक है
शक्ति पूजने से पहले जय बोलो शक्ति प्रदाता की
सर्वप्रथम अभिनंदन किसका
रोली टीका चन्दन किसका
कहलाता गणतंत्र मूल, जो
राष्ट्र हृदय स्पंदन, उसका
लोकतंत्र के सच्चे प्रहरी संविधान अवधाता की
:प्रवीण श्रीवास्तव ‘प्रसून’
फतेहपुर उ.प्र.
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