हास्य व्यंग्य

दलाली तौ दलालय जानत अवधी भाषा (सर्जिकल स्ट्राईक को खून की दलाली कहने वाले पर विशेष )

दलाली तौ दलालय जानत
पड़वा हस चिल्लाय दिहिन, खून की दलाली बताय दिहिन।
रोहतांक दर्रा हिमांचल मा उई, बडी दिलेरी दिखाय दिहिन।।
भारत की जमीन बेंचाय लिहिन, चीन का भारत बलाय लिहिन।
इटली से जहाज खरिदीन, सबजने मिलिकै खाय लिहिन।।

औकात उई देखाय रहे, आपन खटिया लुटवाय रहे।
कुर्सी कै उई ख्वाब हैं द्याखत, खटियाव नाही पाय रहे।
दलाली तौ दलालय जानत, अनुभव आपन बताईन है-
खून बहा तौ चैन मिला है, सुकून का उई खाय लिहिन।।
पड़वा हस चिल्लाय दिहिन, खून की दलाली बताय दिहिन।

खून से या धरती सिंची, तौ जायक हरियाय रही।
अमर शहीद जवानन की, धरती गाथा गाय रही
दुई रंग का खून है जिनका, रंग उई आपन देखाय रहे,
ईटली नाही भारत है यू, जवान जलवा देखाय रहे।
भारत मा तौ शहीद हुवत हैं, उई इटली की भाषा गाय दिहिन।।
भारत की जमीन बेंचाय लिहिन, चीन का भारत बलाय लिहिन।

कुर्सी तुमका प्यारी है, तुमहू सीमाप आय जाव।
कुर्सीन तुमका देखि परत, मजा थ्वारा पाय जाव।।
सम्मान नही मालूम है तो, काहे मुंह फैयलावत हव-
जाउन पहिले बोयेव है, वाहय तौ अब पावत हव।।
दुई आंगन में तुम खेलेंव, इटली, औ हिन्दुस्तान मा
मेरी गठरी में लागा चोर, धक्का दिहिस सम्मान मां
राजकुमार तिवारी (राज)

राज कुमार तिवारी 'राज'

हिंदी से स्नातक एवं शिक्षा शास्त्र से परास्नातक , कविता एवं लेख लिखने का शौख, लखनऊ से प्रकाशित समाचार पत्र से लेकर कई पत्रिकाओं में स्थान प्राप्त कर तथा दूरदर्शन केंद्र लखनऊ से प्रकाशित पुस्तक दृष्टि सृष्टि में स्थान प्राप्त किया और अमर उजाला काव्य में भी सैकड़ों रचनाये पब्लिश की गयीं वर्तामन समय में जय विजय मासिक पत्रिका में सक्रियता के साथ साथ पंचायतीराज विभाग में कंप्यूटर आपरेटर के पदीय दायित्वों का निर्वहन किया जा रहा है निवास जनपद बाराबंकी उत्तर प्रदेश पिन २२५४१३ संपर्क सूत्र - 9984172782