प्रेम क्या है?
प्रेम एक गीत है
जो ज़िंदगी के साथ शुरु होता है
ज़िंदगी के बाद अमर.
प्रेम एक पहचान है
जो उसको भी अपना बना लेता है
जो सर्वथा अनजान है.
प्रेम एक अनुभूति है
जो संयोग में हर्षाती है
वियोग में भी संबल बनती है.
प्रेम आंसुओं की निर्झरिणी है
जो मिलने पर भी झरती है
बिछुड़ने पर भी उपस्थिति दर्ज़ करती है.
प्रेम असीम-अनमोल होता है
इसमें बस प्रेम का कहा-अनकहा बोल होता है
इसमें दूर-पास का कोई खोल नहीं होता है.