निधि छंद.
बरसते सावन
लगे मनभावन
मोर वृंदावन
देख मन पावन!
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नाचे वन मोर
देख नयन फार
अद्भुत संसार
करती मनुहार!
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पावन है गगन
देखे हरे वन
मन मे हैं मगन
करती हूँ नमन!
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लहरते पतंग
बिखरते तरंग
मनाते उमंग
निहारते गगन!
बिजया लक्ष्मी