कविता

कविता

कब से बैठी मैं आस लगा
अपने प्रीतम की यादो में
कब आओगे मेरे प्रियवर
देखूँ अपने नयनों से
बागो से फूलों को चुनकर
राहो में फूल बिछायी हूँ
उस फूलों की गजला बनाकर के
प्रीतम के गले पहनाऊगीं
कब से बैठी मैं आस लगा
अपने प्रीतम की यादो में
कुछ ही इंतजार की घड़ी में
जब मेरे प्रियवर मिलते हैं
उनसे मिलकर मेरे हृदय में
खुशियों का फूल खिल जाता है!

— बिजया लक्ष्मी

बिजया लक्ष्मी

बिजया लक्ष्मी (स्नातकोत्तर छात्रा) पता -चेनारी रोहतास सासाराम बिहार।