लौट कर आओगी
गुजर जाती है हर शाम उस वक्त को याद कर के,
जो वक्त हसीं तो नहीं मगर अपना हुआ करता था,
तुझे खोकर भी इतनी ही शिद्दत से याद है मुझे,
तुझे पाना एक खूबसूरत सपना हुआ करता था।
अब तो जुगनुओं के उजाले भी मुझे नजर नही आते
तेरे सपने यादों के आँचल से शाम-ओ-सहर नहीं जाते।
लौट कर आओगी एक दिन यु ही खिलखिलाते हुए,
जैसे मेरी अंजुरी में तितली रुका करती थी,
जैसे दिल के सागर में लहर उठा करती थी,
जैसे तेरी पलकों में मेरे आंसू हुआ करते थे,
जैसे तेरी पायल को मेरे गीत छूआ करते थे…