कविता

लौट कर आओगी

गुजर जाती है हर शाम उस वक्त को याद कर के,
जो वक्त हसीं तो नहीं मगर अपना हुआ करता था,
तुझे खोकर भी इतनी ही शिद्दत से याद है मुझे,
तुझे पाना एक खूबसूरत सपना हुआ करता था।

अब तो जुगनुओं के उजाले भी मुझे नजर नही आते
तेरे सपने यादों के आँचल से शाम-ओ-सहर नहीं जाते।

लौट कर आओगी एक दिन यु ही खिलखिलाते हुए,
जैसे मेरी अंजुरी में तितली रुका करती थी,
जैसे दिल के सागर में लहर उठा करती थी,
जैसे तेरी पलकों में मेरे आंसू हुआ करते थे,
जैसे तेरी पायल को मेरे गीत छूआ करते थे…

विनोद दवे

नाम = विनोदकुमारदवे परिचय = एक कविता संग्रह 'अच्छे दिनों के इंतज़ार में' सृजनलोक प्रकाशन से प्रकाशित। अध्यापन के क्षेत्र में कार्यरत। विनोद कुमार दवे 206 बड़ी ब्रह्मपुरी मुकाम पोस्ट=भाटून्द तहसील =बाली जिला= पाली राजस्थान 306707 मोबाइल=9166280718 ईमेल = [email protected]