आरक्षण की आग
आरक्षण की आग से
देश सारा झुलस रहा
६५ सालों की आरक्षण की परिधि
बाँहें फैलाए पाँव पसार रही
जाति – धर्म की भांग खिलाके
योग्य प्रतिभाओं का हनन करे
खींच के जाति – धर्म भेद की दीवार
अल्प ज्ञानी बाजी रहे मार
आरक्षण का जुल्म से
प्रतिभाओं का न करें शिकार
करें मंथन हम सब मिलके
करें पुनर्रचना समाज की
नीर – क्षीर विवेक से करें हल
विकसित देश भारत तभी बनेगा
आरक्षण पर कसे नकेल
योग्यिता बल से करें विकास
करें देश का नव निर्माण .
— मंजु गुप्ता
वाशी , नवी मुंबई