किसकी है
सांस किसकी है, हवा किसकी है,
मर्ज़ किसका है, दवा किसकी है!
कुछ असर आज तुझ पे होगा ज़रुर,
हुस्न किसका है, अदा किसकी है!
मुद्दतों बेवज़ह जो काटी है,
ज़ुर्म किसका था, सज़ा किसकी है!
गर्द ही गर्द है फिज़ाओं में,
कैसा तूफां था, सबा किसकी है!
हर तरफ़ ढेर से हैं लाशों के,
ज़ुल्म किसका है, ख़ता किसकी है!
आज ज़िन्दा सा ‘जय’ तु लगता है!
हौसला किसका है, दुआ किसकी है!
जयकृष्ण चांडक “जय”
हरदा म प्र