कभी सवाल तो कभी जवाब जैसी है…
कभी सवाल तो कभी जवाब जैसी है
हमारी ज़िन्दगी खुली किताब जैसी है
हुई नसीब रोटियाँ किसी को मुश्किल से
किसी को ज़िन्दगी मिली नवाब जैसी है
गुजर गयी तमाम रात बस नशे मे ही
हमारे यार की नजर शराब जैसी है
किसी की बात की कटार चीरती है दिल
किसी की बात प्रीत के गुलाब जैसी है
हँसे हुए तो मुद्दते हुई हमे यारो
हँसी गरीब के लिये तो ख्वाब जैसी है
चली है साथ साथ हर कदम कदम मेरे
किसी की याद महकते गुलाब जैसी है
सतीश बंसल
१८.०२.२०१७