लघुकथा

लघुकथा : क्रमशः

Live with happiness not for happiness
जो है जितना है उतना में ख़ुश होना सीख लेना समझदारी है

रिसेल आज चिंतित हो गया, कई दिनों से एनी दिखलाई नहीं दे रही थी ।
दो सालों से नित प्रतिदिन दिन सुबह की सैर में भेंट होने से एनी और रिसेल में गहरी दोस्ती होने लगी थी । सुबह की सैर में अनमना रिसेल एनी के घर पहुँच call-bell दबाया । थोड़ी देर प्रतीक्षा के बाद दरवाज़ा खुला । दरवाज़ा खोलने वाला १८-१९ साल का ख़ूबसूरत नौजवान एनी का पुत्र था । आदर के साथ रिसेल को ड्राइंगरूम बैठा दिया। थोड़ी ही देर में एनी आ बताई कि वो अस्वस्थ थी , इसलिए सुबह की सैर में नहीं आ पा रही थी
आस पास से ही खाँसने की आवाज़ आई , रिसेल के प्रश्नवाची निगाहों पर ऐनी रिसेल को बग़ल वाले कमरे में ला अपने पति से मिलवा दी । एनी के पति को देख रिसेल स्तब्ध रह गया । एनी ३८-३९ साल की होगी तो उसका पति ७२-७३ साल वृद्ध बिछावन पकड़े।
क्यूँ की फ़ैसला शादी का इनसे जब उम्र का इतना फ़ासला था .. कमरे से बाहर आते हुए सवाल दाग़ ही दिया रिसेल ने एनी से
शादी हो रही है तब समझने की ना तो उम्र थी ना आस पास कोई विरोध करने वाला था …. बहुत अच्छे इंसान हैं मेरे पति
इतने ही अच्छे इंसान हैं तो तुमसे शादी ही क्यूँ की …. पढ़ा लिखा कर तुम्हारे योग्य लड़के से करते शादी …. क्या कारण था कि ये तब तक शादी नहीं किए थे ये ख़ुद ?
अरे इनकी शादी हो चुकी थी … मुझसे बड़े बड़े इनके बच्चे थे
तो अपने बेटे से ही शादी करवा देते समय आने पर!
समय की प्रतीक्षा करते और बेटा बड़ा हो पिता की बात मान ही लेता इसकी किस आधार पर उम्मीद की जा सकती थी ?
तुम इन्हें मिली कैसे और कहाँ ?
लड़कियों की तस्करी करने वालों के हत्थे से छूट कर इनके पनाह में पहुँची थी …. ये तब S.P. थे … घर के कामों में सहायता करने लाए थे मुझे। . सारे घर के काम करने के बाद भी किसी न किसी बात पर इनकी पहली पत्नी और बच्चें मेरी धुनाई अच्छे से करते थे !
अभी सब कहाँ हैं और ये केवल यहीं पड़े रहते हैं ?
एक बार ये बहुत बीमार पड़े घर के किसी सदस्य ने इनकी सहायता नहीं की .. मेरी सेवा करने से ये इतने प्रभावित हुए कि मुझे सबसे दूर किराए के मकान में रखने का फ़ैसला कर डाला तब तक मैं माँ बनने की तैयारी में थी। इनके संग मैं नहीं होती तो कहाँ होती !

*विभा रानी श्रीवास्तव

"शिव का शिवत्व विष को धारण करने में है" शिव हूँ या नहीं हूँ लेकिन माँ हूँ