ज्यामितीय आकार
मेरी तो हैं चार भुजाएं,
चार कोण हैं मैंने पाए,
चारों ही हैं एक बराबर,
नाम वर्ग है मेरा बच्चो.
मेरी भी हैं चार भुजाएं,
चार कोण ही मैंने पाए,
आमने-सामने एक बराबर,
आयत नाम है मैंने पाया.
मेरी तो बस तीन भुजाएं,
तीन कोण ही मैंने पाए,
उल्टा होता या मैं सीधा,
हरदम त्रिभुज ही कहलाता.
मैं तो गोल हूं लड्डू जैसा,
या समझो तुम मुझको गेंद,
रोटी जैसा भले समझ लो,
वृत्त कहाता मुझे न खेद.
अब बूझो तुम एक पहेली,
लंबा भी हूं और गोल भी,
नहीं बता पाए तो सुन लो,
नाम सिलिंडर मेरा सेठ.
अरे, कौन हो तुम पूछोगे?
मैं खुद ही बतलाता हूं,
प्यार मुझे ममी का मिलता,
बेलन मैं कहलाता हूं.
— लीला तिवानी