कविता

स्वच्छता और स्वास्थ्य (नारे)

1.जहां स्वच्छता स्वास्थ्य वहीं है,
सच पूछो तो स्वर्ग वहीं है.

 

2.तन स्वस्थ तो, मन प्रसन्न हो,
मन प्रसन्न तो, तन स्वस्थ हो.

 

3.तन की स्वच्छता, मन का स्वास्थ्य,
सुखी जीवन, जब हो आरोग्य.

 

4.हमारा यत्न यही अविराम,
हर तन बने निरोग का धाम.

 

5.स्वर्ग कहां है, स्वास्थ्य कहां है?
स्वच्छता का राज्य जहां है.

 

6.कैसे जीतें जीवन-संग्राम?
जीवन हो जब स्वास्थ्य का धाम.

 

7.पहला सुख निरोगी काया,
स्वच्छता से है स्वास्थ्य पाया.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244