एक ज़माना बीत गया…
दिल में दिल का दर्द दबाये एक ज़माना बीत गया
मेरे होठों को मुस्काये एक ज़माना बीत गया
आवाजें देती है मुझको यूँ तो ये सारी दुनिया
अपनों को आवाज लगाये एक ज़माना बीत गया
दुनिया और जहां की बातें पल पल हमने की लेकिन
मन को मन की बात बताये एक ज़माना बीत गया
होठों पर मुस्कान सजाये गीत सुनाने वालों को
मन वीणा का साज बजाये एक ज़माना बीत गया
केवल खाली पैमाने हैं तन्हाई की महफिल में
सागर से सागर टकराये एक ज़माना बीत गया
सावन आया बादल बरसे लेकिन बरसे सागर में
मन सहरा को आस लगाये एक जमाना बीत गया
— सतीश बंसल
२८.०२.२०१७