लघुकथा

याचक

मास्टर सोमनाथ अपने शिष्य विमल के बंगले में बैठे उसकी प्रतीक्षा कर रहे थे। नौकर ने चाय रखते हुए बताया कि साहब स्नान कर पूजा कर रहे हैं। पूजा समाप्त होते ही आएंगे।
जब भी वह यहाँ आते हैं उन्हें पूरा सम्मान मिलता है। अध्यापन का कार्य उनके लिए महज़ नौकरी नही था। उन्होंने सदैव अपने शिष्यों के चरित्र निर्माण पर ध्यान दिया। यही कारण था कि उनके अधिकांश शिष्य जीवन में बहुत सफल थे।
चाय पीते हुए वह सोच रहे थे कि अपनी बात विमल से कैसे करेंगे।
इसी उहापोह में थे कि विमल ने आकार चरण स्पर्श किया। उसे आशीर्वाद देते हुए उनके मन में एक संकोच था। आज तक उन्होंने किसी से कुछ नही मांगा था। किंतु परिवार तथा परिस्थिति के दबाव में आज वह याचक की तरह खड़े थे।

*आशीष कुमार त्रिवेदी

नाम :- आशीष कुमार त्रिवेदी पता :- C-2072 Indira nagar Lucknow -226016 मैं कहानी, लघु कथा, लेख लिखता हूँ. मेरी एक कहानी म. प्र, से प्रकाशित सत्य की मशाल पत्रिका में छपी है