गीत/नवगीत

साक्षरता बारहमासा मई (बुद्ध पूर्णिमा)

साक्षरता की सीख मिले जब,                                                                     749/9.7.95
मानवता की प्रीत खिले जब,
तब मानव तू मुख से बोल,
बुद्धं शरणं गच्छामि,
संघं शरणं गच्छामि,
धम्मं शरणं गच्छामि.

 
1.डर को जब आतंक डराए,
मानव जब मानव को खाए,
तब मानव तू डर से बोल,
बुद्धं शरणं गच्छामि,
संघं शरणं गच्छामि,
धम्मं शरणं गच्छामि.

 
2.पढ़-लिखकर विद्वान बने जब,
मानव का श्रंगार बने जब,
तब मानव तू मुख से बोल,
बुद्धं शरणं गच्छामि,
संघं शरणं गच्छामि,
धम्मं शरणं गच्छामि.
3.साक्षरता की डोर बंधे जब,
जीवन-रथ के अश्व सधें जब,
तब मानव तू मुख से बोल,
बुद्धं शरणं गच्छामि,
संघं शरणं गच्छामि,
धम्मं शरणं गच्छामि.

 

4.साक्षरता जब राह दिखाए,
भूले राही मंज़िल पाएं,
तब मानव तू मुख से बोल,
बुद्धं शरणं गच्छामि,
संघं शरणं गच्छामि,
धम्मं शरणं गच्छामि.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244