साक्षरता बारहमासा मई (बुद्ध पूर्णिमा)
साक्षरता की सीख मिले जब, 749/9.7.95
मानवता की प्रीत खिले जब,
तब मानव तू मुख से बोल,
बुद्धं शरणं गच्छामि,
संघं शरणं गच्छामि,
धम्मं शरणं गच्छामि.
1.डर को जब आतंक डराए,
मानव जब मानव को खाए,
तब मानव तू डर से बोल,
बुद्धं शरणं गच्छामि,
संघं शरणं गच्छामि,
धम्मं शरणं गच्छामि.
2.पढ़-लिखकर विद्वान बने जब,
मानव का श्रंगार बने जब,
तब मानव तू मुख से बोल,
बुद्धं शरणं गच्छामि,
संघं शरणं गच्छामि,
धम्मं शरणं गच्छामि.
3.साक्षरता की डोर बंधे जब,
जीवन-रथ के अश्व सधें जब,
तब मानव तू मुख से बोल,
बुद्धं शरणं गच्छामि,
संघं शरणं गच्छामि,
धम्मं शरणं गच्छामि.
4.साक्षरता जब राह दिखाए,
भूले राही मंज़िल पाएं,
तब मानव तू मुख से बोल,
बुद्धं शरणं गच्छामि,
संघं शरणं गच्छामि,
धम्मं शरणं गच्छामि.