लघुकथा

रिमोट कार

जमुना अपने बेटे गुड्डू का हाथ पकड़े घर वापस लौट रही थी। त्यौहार के कारण हर घर में काम अधिक था। वह बहुत थकी हुई थी।
“मम्मी रौशन भइया के पास कितनी अच्छी मोटर कार है। रिमोट से चलती है। चाहें जिधर घुमा लो। गोल गोल चक्कर भी काटती है।”
अपनी बात कह कर गुड्डू ने अपनी माँ की तरफ देखा। लेकिन वह बिना कुछ बोले चलती रही।
उसने बात आगे बढ़ाई “वो कार उस बड़ी वाली दुकान में मिलती है जहाँ अपने आप चलने वाली बिजली की सीढ़ी होती है।”
“पर वह दुकान बड़े लोगों के लिए होती है। हम गरीबों के लिए नही।” जमुना ने उसे समझाया। वह समझ रही थी कि गुड्डू ऐसी बातें क्यों कर रहा है। पर उसकी इच्छा कैसे पूरी करती। वह मन ही मन दुखी हो रही थी। वह उसे लेकर उस ठेले पर गई जहाँ प्लास्टिक के सस्ते खिलौने बिक रहे थे। उसने गुड्डू को एक प्लास्टिक की कार दिला दी।
गुड्डू ने अपनी कार को देखा फिर अपनी माँ को। उसके चेहरे को पढ़ कर बोला “अच्छी है।”
जमुना का हाथ पकड़े वह घर जा रहा था किंतु उसके दिमाग में रिमोट कार घूम रही थी।

*आशीष कुमार त्रिवेदी

नाम :- आशीष कुमार त्रिवेदी पता :- C-2072 Indira nagar Lucknow -226016 मैं कहानी, लघु कथा, लेख लिखता हूँ. मेरी एक कहानी म. प्र, से प्रकाशित सत्य की मशाल पत्रिका में छपी है