कौन किसको पीता है?
यों तो आदमी समझता है, वही शराब को पीता है 27.3.86
ध्यान से देख लें असल में, कौन किसको पीता है?
न मिलती हो भले घर में, बच्चों को दो रोटी
नहीं हो चाहे पत्नि के पास, अदद इक साड़ी मोटी-झोटी
मिले पीने वाले को रोज़ नियम, बोतल इक भले हो छोटी
भले रखनी पड़े गिरवी उसे, तन की बोटी-बोटी
उसे तो चाहिए पीने को, वह बोतल को पीता है
ध्यान से देख लें असल में, कौन किसको पीता है?
न रहता होश किसी को, क्या-क्या कहना है
उसे तो पीना है मगर, पत्नि को सहना है
पिटाई-मार खाकर भी उसे तो, चुप ही रहना है
है उसकी किस्मत ही ऐसी, उसे मन मार देना है
कहेगा कौन उसको क्यों ज़हर को, व्यर्थ पीता है
ध्यान से देख लें असल में, कौन किसको पीता है?
सुना उसने भी है मदिरा, ज़हर मीठा-सा है होता
लगाई जिसने होठों से, रहा जीवन-भर वह रोता
कमाई श्रम से जो पूंजी, उसे क्षण भर में है खोता
तबाही होती सेहत की रहेगा, कब तक वह सोता?
बिके जो एक बोतल पर, जीते जी ही मरता है
ध्यान से देख लें असल में, कौन किसको पीता है?
ये अक्सर होता है पहले, आदमी मदिरा पीता है
बलि देता है तन-मन की, हानि धन की भी सहता है
गंवाता प्यार पत्नि का, कहर बच्चों पर होता है
नाम बद होता है उसका, समाज में रुतबा खोता है
अंत में होता है ऐसा, शराब आदमी को पीता है
ध्यान से देख लें असल में, कौन किसको पीता है?