काव्यमय कथा-6 : सबको खुश नहीं कर सकते
शहर चला जब मंगलू भाई,
बोले लोग, ”तू है ही लल्लू,
काम गधे से क्यों नहीं लेता?
थक जाएगा बेटा कल्लू.”
बैठ गधे पर कल्लू बेटा,
चलने लगा, तो फिर कुछ बोले,
”पागल मंगलू, थक जाओगे,
बैठ गधे पर चल रे भोले.”
बैठ गधे पर मंगलू-कल्लू,
चलने लगे तो कोई बोला,
”बड़े दुष्ट हो मंगलू भाई,
गधा बिचारा तो है भोला.”
लोगों को खुश करने हेतु,
गधा उठाकर लगे थे चलने,
”कैसा मूरख मंगलू भाई!”
कहकर लोग लगे थे हंसने.