आत्मसम्मान
वह बोल नही सकता था. टूरिस्ट स्थान पर वह कागज़ पेंसिल लेकर बैठा था. कुछ ही मिनटों में आपका चेहरा कागज़ पर उकेर देता था. उसकी गरीबी पर तरस खाकर मैने दस रूपये पकड़ाए और आगे बढ़ने लगा. उसने बढ़ कर हाथ पकड़ लिया. मेरी ओर वह खमोशी से देख रहा था. उसकी खामोशी मुखर थी. मैने उसके आत्मसम्मान को ठेस पहुँचाई थी.