कविता

मिश्रण अभिव्यक्ति

01.
डूबता सूर्य-
सज गया सिंदूर
नाक से मांग।
02.
जोड़े में बैठा
तीरवर्ती बुजुर्ग –
डूबता सूर्य ।
03.
इंद्रधनुष –
शादी में कुम्हारन
बर्तन लाई।
वय आहुति पकी वंश फसल गांठ में ज्ञान
जीवन संध्या स्नेह की प्रतिमूर्ति चाहे सम्मान
एक जगह रोपी गई दूजे जगह गई उगाई
बिजड़े जैसी बेटियाँ आई छोड़ पल्लू माई
किसी हिस्से फूल किसी हिस्से मिले शूल
छादन बनती विरोहण झेलती सहती धूल
डरे ना दीप हवा जो चले हथेलियों की छाया
डरे ना धी पिता कर माया जो आतंक साया
ससुरैतिन जलती, धुनी जाती जीना बवाल
दामाद क्यों नहीं जलाया जाता ससुराल
बेटी बॉस रहे बहु दास दुनीति बसे ख्याल
कर्म
जी डूबे
शिखी नर्म
यादें तवाफ़
नवजात कर
कोंपल छुई-मुई
<><>
क्यूँ !
छली
जी उठे
साँसें सार
मन रेशम
जीवन्तता नार
एहसास कोमल

*विभा रानी श्रीवास्तव

"शिव का शिवत्व विष को धारण करने में है" शिव हूँ या नहीं हूँ लेकिन माँ हूँ