काव्यमय कथा-11 : दयालु शेर, दिलेर चूहा
एक शेर जंगल में सोया,
मीठे सपने देख रहा,
चूहा एक शेर के ऊपर,
उछल रहा और कूद रहा.
पंजे में ले शेर ने उसको,
कहा, ”अब तुझको मैं खाऊंगा,
बोला चूहा, ”दया करो कुछ,
काम कभी मैं आऊंगा.”
शेर फंसा जब जाल में तब वह,
खूब दहाड़ा-गुर्राया,
उसकी गुर्राहट को सुनकर,
झट चूहा बाहर आया.
कुट-कुट करके जाल काटकर,
जान बचाई शेर की,
कहा शेर ने, ”तुम हो काम के,
साथ ही बहुत दिलेर भी.”