काव्यमय कथा-16 : एकता में बल है
एक शिकारी एक पेड़ पर,
कबूतरों को देख लुभाया,
झटपट दाने डाल वहीं पर,
उसने अपना जाल बिछाया.
जाते देख सभी को खाने,
गुटरू गूं सरदार चिल्लाया,
”दानों के संग जाल पड़ा है”,
लेकिन उसकी कौन सुन पाया!
सभी कबूतर फंसे देखकर,
उसने एक उपाय सुझाया,
एक साथ ले उड़े जाल को,
तभी बचेगी जान बताया.
जाल उड़ा ले चले सभी मिल,
मित्र चूहे को पास बुलाया,
जान बची तो ”एकता का बल”
कबूतरों की समझ में आया.