बाल कविता

काव्यमय कथा-16 : एकता में बल है

एक शिकारी एक पेड़ पर,
कबूतरों को देख लुभाया,
झटपट दाने डाल वहीं पर,
उसने अपना जाल बिछाया.

जाते देख सभी को खाने,
गुटरू गूं सरदार चिल्लाया,
”दानों के संग जाल पड़ा है”,
लेकिन उसकी कौन सुन पाया!

सभी कबूतर फंसे देखकर,
उसने एक उपाय सुझाया,
एक साथ ले उड़े जाल को,
तभी बचेगी जान बताया.

जाल उड़ा ले चले सभी मिल,
मित्र चूहे को पास बुलाया,
जान बची तो ”एकता का बल”
कबूतरों की समझ में आया.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244