काव्यमय कथा-14 : झूठा गड़ेरिया
भेड़ चराने वाला रामू,
करता था मनमानी,
एक बार मज़ाक करने की,
उसने मन में ठानी.
”आया भेड़िया मुझे बचाओ”,
कहकर वह चिल्लाया,
”जल्दी आकर मुझे बचाओ,
यहां भेड़िया आया.
लाठी लेकर लोग आ गए,
”कहां भेड़िया आया”,
”यहां भेड़िया कहीं नहीं है,
मैं यूं ही चिल्लाया”.
एक बार जब शेर आ धमका,
रामू खूब तब चिल्लाया,
झूठ समझकर कोई न आया,
शेर ने रामू को खाया.