बाल कविता

काव्यमय कथा-14 : झूठा गड़ेरिया

भेड़ चराने वाला रामू,
करता था मनमानी,
एक बार मज़ाक करने की,
उसने मन में ठानी.

”आया भेड़िया मुझे बचाओ”,
कहकर वह चिल्लाया,
”जल्दी आकर मुझे बचाओ,
यहां भेड़िया आया.

लाठी लेकर लोग आ गए,
”कहां भेड़िया आया”,
”यहां भेड़िया कहीं नहीं है,
मैं यूं ही चिल्लाया”.

एक बार जब शेर आ धमका,
रामू खूब तब चिल्लाया,
झूठ समझकर कोई न आया,
शेर ने रामू को खाया.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244