कविता : आया फागुन आई होली
आया फागुन आई होली
देशमे हे विभिन्न बोली,
फागुन में हम खेले होली
पानी में जेसे आते तरंग,
डाला जाता है गुलाबी रंग
यू. पी. या गुजरात में भांग पिलाई जाती है
अमीर हो या यहा मजदूर
खायी जाती है यहा खजूर
फर्क चाहे हो यहा बोली का
आग में जल गई होलिका
देश मे मनाते हैं इदे मिलाद
बचाया प्रभु ने भक्त प्रहलाद
आया फागुन आई हे होली
भांग से बदल जाती है बोली
प्यारी है राधा कृष्ण की जोड़ी
बच्चे, युवा खेले सब होली
जिस दिशा में जाये गी ज्वाला
वह प्रदेश में होगा उजियाला
होली मे लकड़ियाँ मत जलाओ
पूजा पाठठ से होली मनाओ
होली मे खाओ मिठाई मेवा
गुलाब जी कहे करो देश सेवा.
— गुलाब चन्द पटेल