कविता

यादें बचपन की

तनहाई में चली आतीं हैं
मीठी यादें बचपन की ।
प्यार से भरे उस जीवन की
रस घोलती अविरत सरगम की ।
थे हम साथ साथ तब खेला करते
उड़ते तितली बन मस्त उपवन की ।
कहीं नहीं थी झंझट कोई
बस एक बंधन थी अपनेपन की ।
वो भी क्या दिन थें खूब
जब पत्तों की थी पूरियां छनती ।
मिट्टी के थे बनते लड्डू
और हर दिन होली-दिवाली मनती ।
झगड़ते थें हम आपस में
फिर खुद ही मान जाते थे ।
साथ बैठकर खाते खाना
और हर बात पे मुस्कुराते थे ।
गुब्बारों में थीं खुशीयां दिखती
उत्सवों के रंग में हम खो जाते थें ।
सब एक जैसे कपड़े पहन कर
एक अनोखा परिवार बन जाते थें ।
पर चुरा लिया समय ने
हम सबका वो बचपन प्यारा ।
बस यादें बनकर सिमट गईं हैं
जो जीवन का पल था न्यारा ।
अब तो वो तन्हाईयों में आतीं हैं
हौले से ये दिल धड़काने ।
कुछ हासिल करने की भागदौड़ में
असल जीवन का सार बताने ।

मुकेश सिंह
सिलापथार,असम
मो०: 09706838045

मुकेश सिंह

परिचय: अपनी पसंद को लेखनी बनाने वाले मुकेश सिंह असम के सिलापथार में बसे हुए हैंl आपका जन्म १९८८ में हुआ हैl शिक्षा स्नातक(राजनीति विज्ञान) है और अब तक विभिन्न राष्ट्रीय-प्रादेशिक पत्र-पत्रिकाओं में अस्सी से अधिक कविताएं व अनेक लेख प्रकाशित हुए हैंl तीन ई-बुक्स भी प्रकाशित हुई हैं। आप अलग-अलग मुद्दों पर कलम चलाते रहते हैंl