कविता

आहट

दोस्तो, आफिस से घर आते ही जब घर पे कोई न हो तो मेरे साथ क्या होता है यह आप भी देखें:-

सोमवार का दिन था
ठंडी शाम थी
बीवी घर पर नही थी
मेरी किचन सुनसान थी
अचानक
छत पर आहट हुई
मेरे दिल मे सरसराहट हुई
सोचा क्यों न
मोके का लाभ उठाया जाय
बालकनी से आंखों का
हिसाब बिठाया जाय।
मैं चुपके से
दबे पांव
छत पर गया
देरी नही की
झट पट गया
तो क्या देखता हूँ
वो भी खड़ी थी
अपनी जगह अड़ी थी
खुद को जैसे
समझ रही कोई परी थी
मैं भी कुछ कम न था
क्योंकि
बीवी के पीछे कोई गम न था
उसने मुझे देखा
मैने उसे देखा
आंखों ही आंखों में बात हो गयी
कहने को दिन था
पर कुछ पलों में रात हो गई
मैं उसकी तरफ बढ़ा
वो पीछे हटी
मैं ओर आगे बढ़ा
वो फिर पीछे हटी
रह न पाया मैं ओर
मेरी तिलमिलाहट हद से पार हो गई
जैसे ही बाहें फैलाई उसे पकड़ने को
पंजा मार के मुझे
वो बिल्ली फरार हो गई
इतनी मुश्किल से हाथ आयी थी
वो बिल्ली आज फिर से
पड़ोसन की छत से पार हो गयी
#महेश

महेश कुमार माटा

नाम: महेश कुमार माटा निवास : RZ 48 SOUTH EXT PART 3, UTTAM NAGAR WEST, NEW DELHI 110059 कार्यालय:- Delhi District Court, Posted as "Judicial Assistant". मोबाइल: 09711782028 इ मेल :- [email protected]