गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल – चेहरे पे तेरे जो नूर आया है

चेहरे पे तेरे जो नूर आया है
तुझ पर किसी हसीं का साया है

मैकदा देख तेरी आंखों ने भी
बदल दिया घर अपना पराया है

हसीं शाम जो मिली वफा ढूंढ़ने
फिर कोई मरीजे इश्क आया है

उदास होंठ हैं जो तेरे अब तलक
मुस्कुराहट बेचने कोई खरीदार आया है

करवट बदल-बदल बीती हैं रातें
ख्वाबों में भी पहलू में तुझे पाया है

दिन रात मेरे ख्यालों में तेरा
इश्क कातिल जुनूं बनके छाया है

प्रीती श्रीवास्तव

प्रीती श्रीवास्तव

पता- 15a राधापुरम् गूबा गार्डन कल्याणपुर कानपुर