5.ज्ञान के दीप जला पाऊं
(बाल काव्य सुमन संग्रह से)
सद्बुद्धि दो मुझको राम,
करूं मैं अच्छे-अच्छे काम,
धनुष धरूं मैं न्याय के हेतु,
जग में हो मेरा भी नाम.
आज्ञाकारी मैं बन पाऊं,
भ्रातृप्रेम में मैं रंग जाऊं,
मानव बन मानवता के हित,
ज्ञान के दीप जला पाऊं.