बाल कविता

6. स्वर-सरगम

(बाल काव्य सुमन संग्रह से)

 

‘अ’ अनार से ताकत पाओ,
‘आ’ आम मज़े से खाओ.
‘इ’ इमली खट्टी होती है,
‘ई’ से ईख मधुर होती है.
‘उ’ उल्लू है रात को जगता,
‘ऊ’ ऊन से जाड़ा भगता.
‘ऋ’ ऋषि हैं ज्ञान-प्रदाता,
वेद-पुराणों के हैं ज्ञाता.
‘ए’ एकतारा तुन-तुन बोले,
‘ऐ’ ऐनक से दृष्टि न डोले.
‘ओ’ से ओखली कूटे धान,
‘औ’ औरत का करना मान.
‘अं’ अंगूर बेल पर होते,
‘अः’ से स्वर खत्म हैं होते.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244