बोलते हैं झूठ लेकिन सच बताते हैं सभी
बोलते हैं झूठ लेकिन सच बताते हैं सभी
सच यही है झूठ के गुणगान गाते हैं सभी
जानता हूँ बोलता हूँ बोल कुछ कडवे मगर
सत्य कहता हूँ तभी तो तिलमिलाते हैं सभी
झूठ कहते हैं किसी के दर्द में हँसते नहीं
दर्द दुश्मन को अगर हो मुस्कुराते हैं सभी
गैर की मजबूरियाँ लगती नही मजबूरियाँ
वक्त जब खुद पर पडे तो गिडगिडाते हैं सभी
बात को कमजोर की सुनता नही कोई मगर
बात पर दरबारियों की सर हिलाते हैं सभी
इश्क तो छुपता नही है यत्न जितने कीजिये
इश्क होता है तो अक्सर मुस्कुराते हैं सभी
जानता हूँ बढ गया है आपका कद आजकल
याद रखिये अंत में शमशान जाते हैं सभी
सतीश बंसल
३१.०३.२०१७